Tuesday, October 2, 2018

Gandhi Jayanti

गांधी जयंती (Gandhi Jayanti)

Gandhi Jayanti


2 अक्टूबर का दिन भारत के साथ साथ कई देशों में एक महत्वपूर्ण दिन है । इस दिन भारत के "बापू" का जन्म हुआ था। कोई उन्हें बापू कहता था तो कोई अहिंसा का भक्त।  पर बापू अपने आचरण की वजह से पूरे विश्व मे विख्यात है।  भारत में राष्ट्रपिता के रूप में पहचाने जाने वाले बापू के जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था तो आइए जानते है विस्तार में बापू के बारे में

गांधी जयंती

इस वर्ष 2018 में 2 अक्टूबर मंगलवार को गांधी जयंती मनाई जाएगी।
महात्मा गांधी का जन्मदिन - 2 अक्टूबर
मोहनदस करमचंद गांधी अर्थात महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।  इसलिए हर वर्ष 2 अक्टूबर को भारत में गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारत मे राष्ट्रीय अवकाश रहता है । महात्मा गांधी ने भारत की स्वतंत्रता में एक अहम भूमिका अदा की थी उनकी अहिंसा सिद्धान्तों के कारण ही अंग्रजो को भारत छोड़ने ओर विवश होना पड़ा था । इस दिन को भारत में बहुत से कार्यक्रम आयोजित किये जाते है ।

Gandhi Jayanti  

राजघाट पर कार्यक्रम

राजघाट दिल्ली में महात्मा गांधी की समाधि है । 2 अक्टूबर को यहां बहुत से कार्यक्रम अजोजित किए जाते है । महात्मा गांधी की समाधि पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ साथ बड़े बड़े नेता सुबह से ही श्रद्धांजलि देने और प्रार्थना करने आते है। इस दिन राजघाट में सुबह से ही महात्मा गांधी का पसन्दीदा भक्ति भजन "रघुपति राघव राजा राम" गाया और बजाया जाता है।

स्कूलों और कॉलेजों में होने वाले कार्यक्रम

नेताओ के साथ ही छात्र भी इस दिन को बहुत खास मानते है और बापू की याद में बहुत से कार्यक्रम आयोजित करते है। स्कूलों में जहाँ बच्चे बापू के जैसे कपड़े पहन उन्हें याद करते है तो वही कॉलेजों में ग़ांधी जी की विचारधारा और उनके आदर्शों पर छात्र अपने विचार प्रस्तुत करते है इसके साथ साथ कविता गायन, निबंध प्रतियोगिता, रैली आयोजन और वाद विवाद प्रतियोगिता जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते है ।

भारत में गांधी जयंती

भारत में गांधी जयंती एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है इसलिये हर राज्य में बहुत से कार्यक्रम रखे जाते है वही साथ ही साधरण नागरिक भी अपनी श्रद्धांजलि बापू को देते है। भारत मे गांधी जयंती कुछ इस तरह मनाई जाती है ।
  • भारत भर में लोग बापू की स्मारकों और सामाजिक स्थलों पर उन्हें श्रद्धांजलि देते है
  • लगभग हर संगठन में कला विज्ञान और निबंध प्रतियोगिताए आयोजित की जाती है
  • महात्मा गांधी जी के जीवन पर आधरित फ़िल्म और नाटकों का मंचन किया जाता है ताकि लोग अहिंसा की राह पर चल सके ।
  • इस दिन मदिरा और मांस वितरण बंद रहता है ।
  • इस दिन बापू के आदर्शों पर चलने का प्रण हर व्यक्ति लेता है ।

महात्मा गांधी की जीवनी

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।  इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था । गांधी जी के पिता कर्मचंद ग़ांधी और माता पुतलीबाई थी । उनके जीवन पर उनकी माता जी का प्रभाव बहुत अधिक था। उनका विवाह तब हो गया था जब वे 13 वर्ष के थे । उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा था।  सन 1887 में उन्होंने अपनी मेट्रिक की शिक्षा पूरी की फिर 1888 में भावनगर के सलमदास कॉलेज में प्रवेश लिए और वहाँ से डिग्री प्राप्त की फिर से लंदन चले गए जहाँ से वो बैरिस्टर बन कर वापस आये । 
महात्मा गांधी ने भारत की स्वतंत्रता मे अहम भूमिका निभाई उन्होंने राष्ट्र व्यापी आंदोलन चलाए जिनमे असहयोग आंदोलन, स्वदेशी आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन प्रमुख है । उन्होंने 22 मार्च 1930 को दांडी मार्च या नमक सत्याग्रह भी शुरू किया था । उनके अहिंसक आंदोलनों ने अंग्रेजो को भारत छोड़ने पर विवश कर दिया।  पर 30 जनवरी 1948 को  गोली मार कर उनकी हत्या कर दी गई थी।  आज दुनिया में महात्मा गांधी अहिंसा की मिसाल माने जाते है ।

महात्मा गांधी के द्वारा कही गई बाते


Gandhi Jayanti

गांधी जी ने भारत की स्वतंत्रता में एक अहम भूमिका अदा की है।  उनकी बातें हर नेता औऱ हर नागरिक मानता था । ऐसी ही कुछ बाते निम्न है  जो हर व्यक्ति को जाननी और माननी चाहिए,
  • "जब भी आप एक प्रतिद्वंद्वी का सामना करते है तो उसे प्यार से जीते।"
  • "जहाँ प्यार है वहाँ जीवन है"
  • "कमजोर कभी माफ नही कर सकते, क्षमा ताकतवर की विशेषता है"
  • "आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देगी"
  • "खुद में वो बदलाव लाए जो आप दुनिया मे देखना चाहते है"
  • "खुशी जब मिलेगी जब आप जो सोचते है, कहते है, और जो करते है, उनमें सामंजस्य हो ।"
  • "गरीबी दैवी अभिशाप नही बल्कि मानवरचित षड्यंत्र है ।"
  • "ऐसे जियो जैसे कि तुम कल मरने वाले हो और ऐसे सीखो की तुम हमेशा के लिए जीने वाले हो ।"

गांधी जी के सम्बंध में महत्वपूर्ण तथ्य

Gandhi Jayanti

  • अहिंसा की बात गांधी जी ने आजादी की लड़ाई में हर शख्स से कही थी
  • गांधी जी ने भगवान महावीर के रास्ते पर चल कर त्याग और सादगी बारे जीवन को चुना
  • गांधी जी सदैव नई शिक्षा को जानने और पढ़ने के लिए तैयार रहते थे
  • गांधी जी शाकाहारी भोजन ही लेते थे
  • महात्मा गाँधी जी ने सभी धर्मों और जातियों को समान माना था । उनकी श्रद्धा हर जाति और धर्म पर थी
  • आज भारत मे 53 मुख्य सड़कों का नाम गांधी जी के नाम पर है वही विदेशों में 48 सड़को का नाम गांधी जी के नाम पर रखा गया है ।

Anti Untouchability Week

Anti Untouchability Week

Anti Untouchability Week

Anti Untouchability week या अस्पृश्यता विरोधी सप्ताह या छुआछूत विरोधी सप्ताह उन कुरीतियों के खिलाफ मनाया जाता है जिसमे इंसानों को जाति के आधार पर बड़ा या छोटा माना जाता है । यह सप्ताह 2018 में 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। 

प्रारंभ के समय से ही छुआछूत समाज मे व्याप्त रही है जिसमे निचली जाति के लोगो को अछूत समझा जाता था और उन्हें छूना पाप समझा जाता था। इसी भावना को रोकने और लोगो को जागरूक करने के लिए ही 24 मई 2011 में विधायिका संसद ने इस अधिनियम को पारित किया । इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य पिछड़े जाति के लोगो को एक समान अवसर देने का था ।

क्यों मानते है अस्पृश्यता विरोधी सप्ताह ?

अस्पृश्यता विरोधी सप्ताह मनाने का उद्देश्य केवल यह बताना है कि हर जाति का भारत में सम्मान किया जाता है और हर जाति यहां अपना अस्तित्व रखती है । बहरत एक विविधता वाला देश है। बोली हो या भाषा , कपड़े हो या खाना यहाँ हर चीज़ में विविधता देखी जाती है ।इसी विविधता को बचाने के लिए अस्पृश्यता विरोधी सप्ताह मनाया जाता है । विधायिका संसद में पारित यह अधिनियम समानता के हक़ और सिद्धांत पर जोर देता है ।  इसमें माना जाता है कि हर व्यक्ति और हर समाज के मानव अधिकार समान है पर वास्तविकता यह है कि इस अधिनियम के बाद भी छुआछूत की खबरे सुनने को मिलती है । 
कई मामलों में दलितों को सिर्फ इसलिए मार दिया गया क्योंकि उन्होंने ऊची जाती के पानी को छू दिया था या उनके रसोई में कदम रख दिया था । ऐसे मामले एक दो नही बल्कि  बहुत सारे है जिनमे दलितों को जान से हाथ धोना पड़ा है । जो कि बहुत ही अमानवीय है । किसी को सिर्फ इसलिये मार देना क्योंकि वो छोटी जाति का है ये सोच बहुत ही घातक है । अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नही जब धरती पर जातियों का नामोनिशान मिट जाएगा।  इन सब मुश्किलों को हल करने और दलितों पर होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए यह सप्ताह मनाया जाता है ।
समाज में छुआछूत की भावना कुछ इस तरह व्याप्त है कि 2012 और 2013 में 80% से भी अधिक हिंसक घटनाएं दलितों के साथ ही हुए है। इस छोटी सी सोच से लड़ने के लिए सरकार और नेताओं को एक साथ आकर काम करने की आवश्यकता है।

Anti Untouchability Week

अस्पृश्यता विरोधी सप्ताह मनाने के उद्देश्य

यह अभियान केवल इसलिए शुरू किया गया क्योंकि दलितों पर होने वाली हिंसा बढ़ती जा रही थी साथ ही उन्हें न्याय भी नही मिल रहा था।  समय के साथ इस अभियान के उद्देश्यों में परिवर्तन आये पर ये परिवर्तन बहुत कम है । आज निम्न उद्देश्य मुख्य है अस्पृश्यता विरोधी सप्ताह के लिए
  • दलित सिविल सोसाइटी ने दलितों के अधिकारों के पर सरकार का ध्यान लाने के लिए यह अभियान शुरू किया गया था ।
  • देश के विकास में दलितों की भागीदारी बढ़ाने के लिए इस अभियान को शुरू किया गया था ।
  • समाज में व्याप्त छुआछूत को कम करना और दलितों को बराबरी का दर्जा दिलाना इस अभियान का एक मुख्य उद्देश्य है
  • इस अभियान को सरकार और समाज का ध्यान दलितों की शिक्षा , स्वास्थ्य और समाजिक स्थितियों से अवगत करवाना है जिससे सरकार दलितों की समस्या पर काम कर सके ।
  • यह अभियान सभी वर्गों और समाजो के बीच बराबरी लाने के लिए कार्यरत है ।

अस्पृश्यता विरोधी सप्ताह की आवश्यकता ?

इस सप्ताह या इस अभियान की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि जब तक समाज में यह छुआछूत की धारणा रहेगी हमारा देश कभी आगे नही बढ़ पायेगा । भारत में बहुत से समाज बहुत सी जनजातियां ऐसी भी है जिन्हें तुच्छ नजरो से देखा जाता है और ऐसे में हमारा देश चाह कर भी प्रगति की राह पर अग्रसर नही हो सकता ।
कई मामले ऐसे देखे गए है जिसमे दलितों को ऊंचे जाति के लोगो ने मार दिया है या बहुत ही क्रुर सजा दी है जबकि उनकी गलती होती भी नही। 

ऐसे में सरकार को पहले से बनाये गए कानूनों को उचित रूप से कार्यान्वित करने की आवश्यकता है । सरकार को दलितों और उनकी हितों की रक्षा करनी चाहिए।  वरना वो दिन दूर नही जब हर राज्य में दंगे जैसे परिस्थितियां उतपन्न हो जाएंगी ।

आज भी भारत में पुराने जमाने की सोच चली आ रही है।  हम इक़सीवी सदी में है पर हमारी सोच आज भी बहुत पिछड़ी हुई है ऐसे में हम क्या ही तरक्की करेंगे। अस्पृश्यता विरोधी सप्ताह जागरूकता लाने का एक जरिया है कि दलित भी इंसान ही है उन्हें भी बराबरी का हक़ है। हमारे समाज मे और समाज की सोच में बदलाव की आवश्यकता है।

Friday, September 28, 2018

National Voluntary Blood Donation Day- 01 October

National Voluntary Blood Donation Day

National Voluntary Blood Donation Day

राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस या National Voluntary Blood Donation Day भारत में 1 अक्टूबर को मनाया जाता है । इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगो मे रक्तदान को बढ़ावा देना और ज़िन्दगी की एहमियत समझाना है । हर साल लाखो लोग रक्त की कमी की वजह से ही जान खो देते है । इसलिए राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस जीवन की महत्ता और रक्त दान को बढ़ावा देता है ।

इस साल राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस

इस साल राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस 1 अक्टूबर 2018 दिन सोमवार को मनाया जाएगा । इस दिन को एक दो नही बल्कि बड़ी संख्या में संस्थाएं मानती है। इस दिन कई जगहों पर रक्तदान शिविर भी आयोजित किये जाते है ।

राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस का इतिहास

राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस पहली बार 1 अक्टूबर 1975 में मनाया गया था । इसके पहले आयोजक Indian Society Of Blood Transfusion and Immunohaematology थे । इस सोसाइटी को 1971 में बनाया गया था जिसका नेतृत्व डॉ जे जी जौली और मिसिज़ के स्वरूप क्रिसेन ने किया था ।  नेतृत्व अभी इसका डॉ युधिर सिंह कर रहे है ।

राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस की एहमियत

रक्त हर इंसान के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि इसके बिना इंसान का कोई भी अंग काम नही करेगा। ये हमारे शरीर के लिए ऊर्जा का स्रोत है । परंतु रक्त एक ऐसा तत्व है जिसे कृत्रिम रूप से नही बनाया जा सकता । इसे किसी इंसान के शरीर से ही प्राप्त किया जा सकता है । रक्त की आवश्यकता इसलिए पड़ती है क्योंकि आज के जीवन में बहुत सी बीमारियों ने जन्म ले लिया है और इन बीमारियों से लड़ने के लिए रक्त एक बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व है । कई बार सड़क दुर्घटना में जो लोग घायल होते है वो रक्त की कमी की वजह से ही अपनी जान खो देते है क्योंकि रक्त की कमी इंसान के अंगों को बेजान कर देती है । इसीलिए जीवन को बचाने के लिए रक्त की आवश्यकता पड़ती है । लेकिन आज भी भारत जैसे देश में रक्तदान बहुत कम लोग करते है । उन्हें लगता है कि रक्तदान करने से उनके शरीर को नुकसान होगा । जबकि ऐसी धारणा केवल एक गलतफहमी है । इसी गलतफहमी को दूर करने के लिए और लोगो को जागरूक करने के लिए  राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस बहुत महत्वपूर्ण है । यदि लोग जागरूक नही होंगे तो वो रक्तदान नही करेंगे और रक्त की कमी की वजह से मौतों की संख्या और बढ़ जाएगी ।

रक्तदान में जब जब कमी आती है तो कई जिंदगियों को खोना पड़ता है । कई बार लोग भ्रांतियों के कारण रक्तदान नही करते जिससे जरूरतमंद लोगों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। सड़क दुर्घटनाओ के अलावा हीमोफीलिया और ल्यूकीमिया जैसी बीमारी में रक्त की कमी के कारण कई लोग मारे जाते है जबकि ऐसे लोगो को बचाया जा सकता है । मौसमी बीमारियों के समय भी रक्त की जरूरत बढ़ जाती है और ऐसी स्थितियों में रक्त की कमी कई लोगो की जान ले लेती है ।

रक्तदान हर साल कई लोगों की जान बचा लेता है । आकड़ो की माने तो त्रिपुरा,महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल राज्यों में स्वैच्छिक रक्तदान करने वालो कि संख्या सबसे अधिक है इन राज्यो को राष्ट्रीय स्तर माना जाता है । वही मणिपुर राज्य में स्वैच्छिक रक्तदाताओं की संख्या सबसे कम है । स्वैच्छिक रक्तदान करने से हम राष्ट्र की उन्नति में सहयोग करते है और हम थोड़े प्रयासों से कुछ लोगो की जान भी बचा पाते है । इसलिए हर किसी को स्वैच्छिक रक्तदान करना ही चाहिए ।

राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान अभियान का उद्देश्य

राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान अभियान का उद्देश्य केवल लोगो में जागरूकता लाना है ताकि लोग अधिक मात्रा में रक्तदान कर सके । जागरूकता के अलावा राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान अभियान के उद्देश्य निम्न है
  • जरूरतमंद लोगों को सही समय पर रक्त उपलब्ध करवाने के लिए रक्तदान शिविरों का आयोजन करना
  • किसी भी बीमारी या दुर्घटना से बचने के लिए रक्त का आयोजन कर ब्लड बैंक में रक्त का संग्रह करना
  • विभिन्न तरह से लोगो को रक्तदान के लिए प्रोत्साहित करना और उनका सम्मान करना
  • कुछ लोग केवल अपने जानने वालों के लिए रक्तदान करते है ऐसे लोगो को सभी के लिए रक्तदान करने के लिए प्रोत्साहित करना
  • रक्त की कमी की वजह से होने वाली मौतों को कम करने की कोशिश करना ।

रक्तदान से जुड़ी गलतफहमियां या भ्रांतियां

समाज में रक्तदान से जुड़ी कई भ्रांतियां व्याप्त है। आम तौर पर सुनने को मिलता है कि रक्तदान से कमजोरी आती है और शरीर कमजोर होता है । जबकि सच ये है कि रक्तदान से शरीर को कोई नुकसान नही होता क्योंकि रक्तदान के लिए कुछ पैमाने तैयार किये गए है और उन पैमाने के अनुसार ही रक्त लिया जाता है ।

रक्तदान का प्रण

हर इंसान को रक्तदान करने का प्रण लेना चाहिए ताकि मानवता को बचाया जा सके । कई विद्यालय विद्यार्थि और कई संस्थान इस काम मे लगे हुए है हमें ऐसे लोगो से सबक लेना चाहिए और रिश्ता हो या न हो सबके लिए रक्तदान करना चाहिए । रक्तदान से हम कुछ जिंदगियो को बचा सकते है ।

रक्तदान के लिए तय पैमाना

रक्तदान के लिए कुछ पैमाने तय किये गए है जिससे रक्तदाता को किसी प्रकार की हानि ना हो । रक्तदान से पहले इन पैमानों को जरूर जांच ले
  • रक्तदाता की उम्र 18 वर्ष से 60 वर्ष तक ही हो सकती है । 18 वर्ष से कम और 60 वर्ष से अधिक के लोग रक्तदान नही कर सकते ।
  • रक्तदाता का वजन कम से कम 45 किलोग्राम होना ही चाहिए । इससे कम वजन वाले से रक्त नही लिया जा सकता ।
  • इसके अलावा नाडी दर 60 से 100 बार प्रति मिनट, रक्तचाप सामान्य होना चाहिए
  • रक्तदाता का हीमोग्लोबिन स्तर 12.5 ग्राम प्रति 100 मिलीलीटर होना चहिए
  • रकतदाता के शरीर का तापमान 37.5 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक नही होना चाहिए अन्यथा वो रक्तदान नही कर सकता ।

तो चलिए हम भी प्रतिज्ञा ले कि हम ही अपनी मर्जी से रक्तदान करेंगे । चाहे रक्त हमारे किसी रिश्तेदार के लिए हो या ना हो ।

Keywords: National Voluntary Blood Donation Day, राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस, 1 अक्टूबर

Friday, September 21, 2018

World Tourism Day - 27 September

विश्व पर्यटन दिवस ( World Tourism Day )

World Tourism Day - 27 September
27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस के रूप में जाना जाता है। इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन ने वर्ष 1980 में कई गई थी। 27 सितम्बर को विश्व पर्यटन दिवस को इसलिए चुना गया क्योंकि इसी दिन वर्ष 1970 में यू.एन.डब्ल्यू.टी.ओ (UNWTO) का कानून प्रभाव में आया था । यहाँ UNWTO का अर्थ UNITED NATIONS WORLD TOURISM ORGANIZATION है। इसका मुख्यालय मेड्रिड, स्पेन में है । UNTWO का मुख्य उद्देश्य अंतराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन के प्रभाव को सबके सामने रखना और लोगो को जागरूक करना है। UNWTO का उद्देश्य लोगो को विश्व स्तर पर पर्यटन को बढ़ावा देना और विश्व पर्यटन किसी देश के सामाजिक आर्थिक संस्कृति और राजनैतिक मूल्यों को कैसे प्रभावित करता है, ये बताना है।

विश्व पर्यटन दिवस 2018

इस साल 27 सितंबर 2018 दिन गुरुवार को विश्व पर्यटन दिवस पूरे विश्व में मनाया जाएगा । विश्व पर्यटन दिवस हर साल 27 सितंबर को पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। इस दिन हर पर्यटन स्थल पर बहुत से कार्यक्रम रखे जाते है। इसके साथ साथ आम जनता के लिए बहुत से छूट या डिस्काउंट रखे जाते है।
इस दिन हर साल UNWTO के महासचिव एक संदेश आम जनता को भेजा जाता है जो कि एक निमंत्रण होता है ताकि लोग इस दिन में भाग ले सके ।
विभिन्न सरकारी संगठन, पर्यटन उद्द्योग , पर्यटन संगठन इस दिन को बढ़ चढ़ कर मनाते है। इस दिन कई प्रकार की प्रतियोगिताए, चित्रकारी, और मुफ्त पर्यटन जैसे कार्यक्रम चलाए जाते है। इसका मुख्य उद्देश्य नई पर्यटक खोजना और पर्यटन को बढ़ावा देना है ।

पिछले 10 वर्षों में UNWTO के विषय

वर्ष

स्थान

विषय
1980
सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और शांति और आपसी समझ के लिए पर्यटन का योगदान
1981
पर्यटन और जीवन की गुणवत्ता
1982
यात्रा में गौरव: अच्छे अतिथि और अच्छे मेजबान
1983
यात्रा और छुट्टियां एक अधिकार हैं, लेकिन सभी के लिए भी एक जिम्मेदारी है
1984
अंतर्राष्ट्रीय समझ, शांति और सहयोग
1985
युवा पर्यटन: शांति और दोस्ती के लिए सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत
1986
पर्यटन: विश्व शांति के लिए एक महत्वपूर्ण शक्ति
1987
विकास के लिए
1988
पर्यटन: सभी के लिए शिक्षा
1989
पर्यटकों का मुफ्त आंदोलन एक दुनिया
1990
पर्यटन: एक अपरिचित उद्योग, एक सेवा
1991
संचार, सूचना और शिक्षा: पर्यटन विकास की पावरलाइन
1992
पर्यटन: सामाजिक और आर्थिक एकजुटता और लोगों के बीच मुठभेड़ बढ़ने का एक कारक
1993
पर्यटन विकास और पर्यावरण संरक्षण: एक स्थायी सद्भाव की ओर
1994
गुणवत्ता कर्मचारी, गुणवत्ता पर्यटन
1995
बीस साल के लिए विश्व पर्यटन की सेवा
1996
पर्यटन: सहिष्णुता और शांति का एक कारक
1997
पर्यटन: नौकरी निर्माण और पर्यावरण संरक्षण के लिए इक्कीसवीं शताब्दी की एक प्रमुख गतिविधि
1998
मेक्सिको
पब्लिक-प्राइवेट सेक्टर साझेदारी: पर्यटन विकास और पदोन्नति की कुंजी
1999
चिली
पर्यटन: नई सहस्राब्दी के लिए विश्व विरासत को संरक्षित करना
2000
जर्मनी
प्रौद्योगिकी और प्रकृति: इक्कीसवीं शताब्दी की शुरुआत में पर्यटन के लिए दो चुनौतियां
2001
ईरान (इस्लामी गणराज्य)
पर्यटन: सभ्यताओं के बीच शांति और संवाद के लिए एक उपकरण
2002
कोस्टा रिका
इकोटोरिज्म, टिकाऊ विकास की कुंजी
2003
अल्जीरिया
पर्यटन: गरीबी उन्मूलन, नौकरी निर्माण और सामाजिक सद्भाव
2004
मलेशिया
खेल और पर्यटन: पारस्परिक समझ, संस्कृति और समाज के विकास
2005
कतर
यात्रा और परिवहन: 21 वीं शताब्दी की वास्तविकता
2006
पुर्तगाल
पर्यटन समृद्ध
2007
श्रीलंका
पर्यटन महिलाओं के लिए घर खोलता है
2008
पेरू
पर्यटन: जलवायु परिवर्तन की चुनौती का जवाब
2009
घाना
पर्यटन - विविधता का जश्न
2010
चीन
पर्यटन और जैव विविधता
2011
मिस्र
लिंकिंग संस्कृतियां
2012
स्पेन
पर्यटन और सतत ऊर्जा: सशक्त विकास शक्ति
2013
मालदीव
पर्यटन और जल: हमारे सामान्य भविष्य की रक्षा करना
2014
मेक्सिको
पर्यटन और सामुदायिक विकास
2015
1 बिलियन पर्यटक 1 बिलियन अवसर
2016
थाईलैंड
यूनिवर्सल एक्सेसिबिलिटी को बढ़ावा देना
2017
कतर
सतत पर्यटन - विकास के लिए एक उपकरण

बुडापेस्ट
हंगरी

पर्यटन और डिजिटल परिवर्तन


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Thursday, September 13, 2018

Bollywood Songs on Ganesha : Ajasha

Bollywood Songs on Ganesha


भगवान गणेश सबके चहेते भगवान है । बच्चा हो या बड़ा पार्वती पुत्र से लगाव रखता है । हर वर्ग और जाति का व्यक्ति भगवान गणेश में विशेष श्रद्धा रखता है।
कहा जाता है कि भगवान गणेश सबकी मनोकामनाये पूरी करते है ।
इसलिए सिनेमा जगत भी भगवान गणेश में खास रूचि लेता है।  अक्सर फिल्मी सितारे मुम्बई में बने लालबाग के गणेश मंदिर में देखे जाते है। 


यह मंदिर फिल्मी सितारों के साथ साथ बड़े व्यापारियों के मध्य भी विख्यात है।
असल जिंदगी के साथ साथ सिनेमा जगत ने भी भगवान गणेश को सिनेमा का भी हिस्सा बना लिया है ।
कई फिल्मों में भगवान गणेश से जुड़े फिल्मी दृश्य और फिल्मी गाने बनाये गए है।


आज हम आपको बताते है कुछ ऐसे ही गाने जो उस समय से लेकर अब तक गणपति की वंदना में सुने जाते है। यह गाने पुराने समय में और आज के आधुनिक समय मे भी बहुत प्रचलित है।

सिनेमा जगत का गणपति प्रेम

1. Ganpati Bappa Maurya [ 1981 ]

सन 1981 में सुना जाने वाला ये एक बहुत ही मशहूर गाना है आप इसे आज भी गणेश पंडालों में सुन पाएंगे । यह गाना फ़िल्म हमसे बढ़ कर कौन में प्रदर्शित किया गया था।  इसके बोल रविन्द्र रावल ने लिखे थे और इसका संगीत रामलक्ष्मण
ने दिया था। इस गाने में आवाज़ मोहम्मद रफी, आशा भोशले,
भूपिंदर, शैलेंद्र सिंह और सपन चक्रोवोरटी ने दिया था ।
इस फ़िल्म में मिथुन , डैनी, रंजीता, अमजद खान, और पद्मिनी कपिला जैसे दिग्गज कलाकारों ने काम किया था ।

 फ़िल्म अग्निपथ का यह गाना बहुत ही मशहूर है । इस के निर्देशक थे मुकुल आनन्द । इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन , मिथुन, डैनी ,माधवी, और रोहिणी हट्टनगदी ने काम किया था । इस गाने में आवाज़ कविता कृष्णमूर्ति , सुदेश भोशले और अनुपमा ने दिया था ।
फ़िल्म आँशु बने अंगारे जो सन 1993 में आई थी उसमें भी गणपति की महिमा को दर्शाया गया था । इस गाने को आवाज़ लता मंगेश्कर ने दी थी । तो वही इस फ़िल्म में माधुरी दीक्षित, जितेंद्र, प्रेम चोपडा , अनुपम खेर, अशोक कुमार, बिंदु , हेलेन जैसे बड़े कलाकारों ने काम किया था ।

4. Deva oo Deva Ganpati Deva [ 1997 ]

देवा ओ देवा ये गाना पहली बार फ़िल्म महानता में दिखाया गया था । इस गाने को आवाज़ अल्का याग्निक ने दी थी ।
इस फ़िल्म का निर्देशन अफ़ज़ल खान ने किया था तो वही इस फ़िल्म में जितेंद्र, संजय दत्त और माधुरी दीक्षित जैसी बड़ी हस्तियों ने काम किया था । इस फ़िल्म में संगीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने दिया था ।

5. Sindur Laal Chadhayo [ 1999 ]

सन 1999 में आई फ़िल्म वास्तव में इस गाने को दर्शाया गया था ये गाना भी बहुत मशहूर रहा है। इस फ़िल्म में संजय दत्त, नम्रता शिरोडकर , परेश रावल, जैसे बड़े कलाकारों ने काम किया था। इस गाने में आवाज़ राहुल रानाडे और रविन्द्र साठे की थी। इस फ़िल्म के निर्देशक महेश मांझरेकर जी है ।

6. Shree Ganesha Deemahi [ 2005 ]


सन 2005 में आई फ़िल्म विरुद्ध में यह गाना दर्शाया गया था
इसका निर्देशन महेश मांझरेकर जी ने किया है । इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन , शर्मिला टैगोर, संजय दत्त, जॉन अब्राहम जैसे कलाकारों ने काम किया है । इस गाने को आवाज़ शंकर महादेवन ने दी है ।

7.Mourya Re [ 2006 ]

सन 2006 में आई फ़िल्म डॉन में यह गाना पहली बार दिखाया गया था । इस फ़िल्म का निर्देशन फरहान अख़्तर ने किया है । इस फ़िल्म में शाहरुख खान , प्रियंका चोपड़ा, अर्जुन रामपाल, बोमन ईरानी, ईशा कोपिकर, ओम पुरी जैसी बड़ी हस्तियों ने काम किया था । इस फ़िल्म का संगीत शंकर एहसान लोय ने दिया था ।






सन 2007 में आई बाल फ़िल्म मय फ्रेंड गणेशा ( My Friend Ganesha )  में यह गाना पहली बार दिखाया गया था।  इस फ़िल्म का निर्देशन राजीव रुइया ने किया था। 
इस गाने को आवाज़ रूप कुमार राठौड़ ने दिया है ।

9. Shukh Karta Dukh Harta [ 2010 ]


यह एक हास्य फ़िल्म थी जिसका नाम था अतिथि तुम कब जाओगे । इस फ़िल्म का निर्देशन अश्विनी धीर ने किया है।  इस फ़िल्म में अजय देवगन, परेश रावल कोंकणा सेन शर्मा मुख्य भूमिका में थे । इस फ़िल्म का संगीत प्रीतम ने दिया है।
इस गाने को आवाज़ अमित मिश्रा ने दिया है ।

10.  Hey Lamboder [ 2011 ]

यह गाना फ़िल्म मौर्या में आया था जो कि एक मराठी फिल्म है ।इस फ़िल्म का निर्देशन अवधूत गुप्ते ने किया है । इस फ़िल्म में संतोष जावेकर, पारी तेलंग जैसे कलाकारों ने काम किया है ।

11. Deva Shree Ganesha  [ 2012 ]


यह गाना फ़िल्म अग्निपथ में दर्शाया गया है। यह फ़िल्म 2013 की सबसे प्रचलित फिल्मों में से एक है। इस गाने को आवाज़ अजय गोगावले ने दी है। इस फ़िल्म में रितिक रोशन, संजय दत्त, प्रियंका चोपड़ा , ऋषि कपूर ने मुख्य भूमिका निभाई है ।

12. Sambhu Sutaya & Sada Dil Vi tu [ 2013 ]


इन दोनों गानो को फ़िल्म एबीसीडी (ABCD)  में दर्शाया गया है ।इन गानों को आवाज़ सचिन जिगर ने दिया है । इस फ़िल्म का निर्देशन रेमो डिसूजा ने किया है। इस फ़िल्म में धर्मेश , प्रभु देवा , गणेश आचार्य, पुनीत पाठक, सलमान यूसुफ खान, राघव जुयाल जैसे कलाकारों ने काम किया है।

13. Gajanana [ 2015 ]


यह गाना फ़िल्म बाजीराव मस्तानी में पहली बार दिखाया गया है । इस फ़िल्म का निर्देशन संजय लीला भंसाली ने किया है ।
इस फ़िल्म में रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण, और प्रियंका चोपड़ा मुख्य भूमिका में है । इस गाने को आवाज़ सुखविंदर सिंह ने दिया है। 

14. Bappa [ 2016 ]


यह गाना फ़िल्म बैंजो में दिखाया गया था। इस गाने को आवाज़ विशाल ददलानी ने दिया है। इसके बोल अमित भट्टाचार्य के है। इस फ़िल्म के निर्देशक रवि जाधव है ।
इस फ़िल्म में रितेश देशमुख और नरगिस फाखरी मुख्य भूमिका में है ।




15. Aala Re Aala [ 2017 ]


यह गाना फ़िल्म डैडी में दिखाया गया है । इसके निर्देशक अशीम अहलूवालिया है। इस फ़िल्म में अर्जुन रामपाल , ऐश्वर्या राजेश, राजेश श्रृंगापुरे, और फरहान अख्तर मुख्य भूमिका में है। इस फ़िल्म का संगीत साजिद वाजिद ने दिया हौ। और इस गाने को आवाज़ वाजिद और डॉ गणेश चन्दनशिवे ने दिया है ।



तो ये है कुछ गाने को बहुत प्रचलित है। गणपति को मानने वाले आम लोगो के साथ साथ खास और नामचीन लोग भी है।

बॉलीवुड भी भगवान गणेश का भक्त है। इसलिए के फिल्मों में ऐसे गाने सूनने को मिलते है।

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Monday, September 10, 2018

Ganpati ke 108 naam : Ajasha

 Shree Ganpati ke 108 naam

ganpati ke 108 naam

जी हाँ भगवान गणेश के 108 नाम है।
दंग रह गए ना। पर ये सच है पुरानी दन्तकथाओं को माने तो भगवान गणेश को पूरे 108 नाम दिए गए थे ।


तो चलिए जानते है इन 108 नामो को

  • अक्षोभ्याय 
  • अग्रगण्याय 
  • अग्रगामिने 
  • अग्रपूज्याय 
  • अपराजिते 
  • अप्राकृत पराक्रमाय 
  • अभीष्टवरदाय 
  • अव्यक्ताय 
  • अश्रितवत्सल 
  • आक्रान्त चिद चित्प्रभवे 
  • उन्मत्तवेषाय 
  • ऐश्वर्यकारणाय 
  • कपित्थपनसप्रियाय 
  • कल्याणगुरवे 
  • कान्तिमते 
  • कामिने 
  • कुञ्जरासुर भञ्जनाय 
  • कुमारगुरवे 
  • कृति 
  • गङ्गा सुताय 
  • गजानन 
  • गणाधीशाय 
  • गणाध्यक्ष 
  • गम्भीर निनदाय 
  • चामीकरप्रभाय 
  • जितमन्मधाय 
  • जिष्णवे 
  • ज्यायसे 
  • ज्योतिषे 
  • दिव्याङ्गाय 
  • द्विमुख 
  • द्वैमातुर 
  • धृतिमते 
  • पञ्चहस्ताय 
  • पार्वतीनन्दनाय 
  • पुराण पुरुष 
  • पुष्करोत्षिप्त वारिणे 
  • पूष्णे 
  • प्रज्ञा 
  • प्रथम 
  • प्रभवे 
  • प्रमधा 
  • प्रमुख 
  • प्रमोदाय 
  • बल 
  • बलोत्थिताय 
  • ब्रह्मचारिणे 
  • ब्रह्मरूपिणे 
  • ब्रह्मविद्यादि दानभुवे 
  • भक्त जीविताय 
  • भक्तनिधये 
  • भवात्मजाय 
  • भावगम्याय 
  • मङ्गल स्वरा 
  • मङ्गलप्रदाय 
  • मणिकिङ्किणी मेखालाय 
  • मदोत्कट 
  • मन्त्रकृते 
  • मन्त्रिणे 
  • महाकाल 
  • महागणपति 
  • महाबला 
  • महावीर 
  • महेशाय 
  • महोदरा 
  • मान्या 
  • मोदकप्रियाय 
  • यक्षकिन्नेर सेविताय 
  • लम्बजठर 
  • वटवे 
  • वाक्पति 
  • विघातकारिणे 
  • विघ्नकर्ता 
  • विघ्नराज 
  • विघ्नहर्ता 
  • विनायक 
  • विराट्पति 
  • विश्वग्दृशे 
  • विश्वनेत्र 
  • विश्वरक्षाकृते 
  • विष्णुप्रियाय 
  • शाश्वत 
  • शिवप्रिय 
  • शीघ्रकारिण 
  • शृङ्गारिण 
  • श्री विघ्नेश्वराय 
  • श्रीपति 
  • सखये 
  • सततोत्थिताय 
  • सत्यधर्मिणे 
  • समस्त जगदाधाराय 
  • समस्त देवता मूर्तये 
  • सरसाम्बुनिधये 
  • सर्व कर्त्रे 
  • सर्वनेत्रे 
  • सर्वसिद्धिप्रदाय 
  • सर्वाय 
  • सर्वैश्वर्यप्रदाय 
  • सर्वोपास्याय 
  • सहिष्णवे 
  • सिद्धये 
  • सुखनिधी 
  • सुप्रदीप 
  • सुमुख 
  • सुराध्यक्ष 
  • सुरारिघ्न 
  • हेरम्ब 
  • ह्रस्वग्रीव
 तो ये है गणपति के 108 नाम ।
हमे आशा है कि गणपति आपकी हर मनोकामना पूरी करेंगे ।

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GANESHA AARTI : Ajasha

GANESH JI KI AARTI 



हिन्दू मान्यताओं के अनुसार यदि आपको किसी देवता को प्रसन्न करना हो तो आपको उस देवता की आरती आनी चाहिए । यह आरती एक मंत्र होता है।
कहा जाता  है कि भगवान इस आरती को जल्दी सुनते है। हर भगवान की आरती हिन्दू रीति रिवाजों में पाई जाती है । गणेश जी भगवान शंकर और माता पार्वती के छोटे पुत्र है । उनके बड़े भाई का नाम कार्तिकेय है।

तो चलिए जानते है गणेश आरती


जय गणेश जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती , पिता महादेवा ।।


एकदंत दयावन्त चार भुजाधारी ।
माथे तिलक सोहे, मूसे की सवारी ।।
जय गणेश जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती , पिता महादेवा ।।


पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे संत करे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती , पिता महादेवा ।।


अंधे को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ।।
जय गणेश जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती , पिता महादेवा ।।


'सुर' श्याम शरण आय सफल कीजे सेवा
माता जाकी पार्वती , पिता महादेवा ।।

जय गणेश जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती , पिता महादेवा ।।

हमारी आशा है कि भगवान गणेश आपकी हर मनोकामना पूरी करे ।

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