Friday, September 28, 2018

National Voluntary Blood Donation Day- 01 October

National Voluntary Blood Donation Day

National Voluntary Blood Donation Day

राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस या National Voluntary Blood Donation Day भारत में 1 अक्टूबर को मनाया जाता है । इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगो मे रक्तदान को बढ़ावा देना और ज़िन्दगी की एहमियत समझाना है । हर साल लाखो लोग रक्त की कमी की वजह से ही जान खो देते है । इसलिए राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस जीवन की महत्ता और रक्त दान को बढ़ावा देता है ।

इस साल राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस

इस साल राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस 1 अक्टूबर 2018 दिन सोमवार को मनाया जाएगा । इस दिन को एक दो नही बल्कि बड़ी संख्या में संस्थाएं मानती है। इस दिन कई जगहों पर रक्तदान शिविर भी आयोजित किये जाते है ।

राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस का इतिहास

राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस पहली बार 1 अक्टूबर 1975 में मनाया गया था । इसके पहले आयोजक Indian Society Of Blood Transfusion and Immunohaematology थे । इस सोसाइटी को 1971 में बनाया गया था जिसका नेतृत्व डॉ जे जी जौली और मिसिज़ के स्वरूप क्रिसेन ने किया था ।  नेतृत्व अभी इसका डॉ युधिर सिंह कर रहे है ।

राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस की एहमियत

रक्त हर इंसान के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि इसके बिना इंसान का कोई भी अंग काम नही करेगा। ये हमारे शरीर के लिए ऊर्जा का स्रोत है । परंतु रक्त एक ऐसा तत्व है जिसे कृत्रिम रूप से नही बनाया जा सकता । इसे किसी इंसान के शरीर से ही प्राप्त किया जा सकता है । रक्त की आवश्यकता इसलिए पड़ती है क्योंकि आज के जीवन में बहुत सी बीमारियों ने जन्म ले लिया है और इन बीमारियों से लड़ने के लिए रक्त एक बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व है । कई बार सड़क दुर्घटना में जो लोग घायल होते है वो रक्त की कमी की वजह से ही अपनी जान खो देते है क्योंकि रक्त की कमी इंसान के अंगों को बेजान कर देती है । इसीलिए जीवन को बचाने के लिए रक्त की आवश्यकता पड़ती है । लेकिन आज भी भारत जैसे देश में रक्तदान बहुत कम लोग करते है । उन्हें लगता है कि रक्तदान करने से उनके शरीर को नुकसान होगा । जबकि ऐसी धारणा केवल एक गलतफहमी है । इसी गलतफहमी को दूर करने के लिए और लोगो को जागरूक करने के लिए  राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस बहुत महत्वपूर्ण है । यदि लोग जागरूक नही होंगे तो वो रक्तदान नही करेंगे और रक्त की कमी की वजह से मौतों की संख्या और बढ़ जाएगी ।

रक्तदान में जब जब कमी आती है तो कई जिंदगियों को खोना पड़ता है । कई बार लोग भ्रांतियों के कारण रक्तदान नही करते जिससे जरूरतमंद लोगों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। सड़क दुर्घटनाओ के अलावा हीमोफीलिया और ल्यूकीमिया जैसी बीमारी में रक्त की कमी के कारण कई लोग मारे जाते है जबकि ऐसे लोगो को बचाया जा सकता है । मौसमी बीमारियों के समय भी रक्त की जरूरत बढ़ जाती है और ऐसी स्थितियों में रक्त की कमी कई लोगो की जान ले लेती है ।

रक्तदान हर साल कई लोगों की जान बचा लेता है । आकड़ो की माने तो त्रिपुरा,महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल राज्यों में स्वैच्छिक रक्तदान करने वालो कि संख्या सबसे अधिक है इन राज्यो को राष्ट्रीय स्तर माना जाता है । वही मणिपुर राज्य में स्वैच्छिक रक्तदाताओं की संख्या सबसे कम है । स्वैच्छिक रक्तदान करने से हम राष्ट्र की उन्नति में सहयोग करते है और हम थोड़े प्रयासों से कुछ लोगो की जान भी बचा पाते है । इसलिए हर किसी को स्वैच्छिक रक्तदान करना ही चाहिए ।

राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान अभियान का उद्देश्य

राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान अभियान का उद्देश्य केवल लोगो में जागरूकता लाना है ताकि लोग अधिक मात्रा में रक्तदान कर सके । जागरूकता के अलावा राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान अभियान के उद्देश्य निम्न है
  • जरूरतमंद लोगों को सही समय पर रक्त उपलब्ध करवाने के लिए रक्तदान शिविरों का आयोजन करना
  • किसी भी बीमारी या दुर्घटना से बचने के लिए रक्त का आयोजन कर ब्लड बैंक में रक्त का संग्रह करना
  • विभिन्न तरह से लोगो को रक्तदान के लिए प्रोत्साहित करना और उनका सम्मान करना
  • कुछ लोग केवल अपने जानने वालों के लिए रक्तदान करते है ऐसे लोगो को सभी के लिए रक्तदान करने के लिए प्रोत्साहित करना
  • रक्त की कमी की वजह से होने वाली मौतों को कम करने की कोशिश करना ।

रक्तदान से जुड़ी गलतफहमियां या भ्रांतियां

समाज में रक्तदान से जुड़ी कई भ्रांतियां व्याप्त है। आम तौर पर सुनने को मिलता है कि रक्तदान से कमजोरी आती है और शरीर कमजोर होता है । जबकि सच ये है कि रक्तदान से शरीर को कोई नुकसान नही होता क्योंकि रक्तदान के लिए कुछ पैमाने तैयार किये गए है और उन पैमाने के अनुसार ही रक्त लिया जाता है ।

रक्तदान का प्रण

हर इंसान को रक्तदान करने का प्रण लेना चाहिए ताकि मानवता को बचाया जा सके । कई विद्यालय विद्यार्थि और कई संस्थान इस काम मे लगे हुए है हमें ऐसे लोगो से सबक लेना चाहिए और रिश्ता हो या न हो सबके लिए रक्तदान करना चाहिए । रक्तदान से हम कुछ जिंदगियो को बचा सकते है ।

रक्तदान के लिए तय पैमाना

रक्तदान के लिए कुछ पैमाने तय किये गए है जिससे रक्तदाता को किसी प्रकार की हानि ना हो । रक्तदान से पहले इन पैमानों को जरूर जांच ले
  • रक्तदाता की उम्र 18 वर्ष से 60 वर्ष तक ही हो सकती है । 18 वर्ष से कम और 60 वर्ष से अधिक के लोग रक्तदान नही कर सकते ।
  • रक्तदाता का वजन कम से कम 45 किलोग्राम होना ही चाहिए । इससे कम वजन वाले से रक्त नही लिया जा सकता ।
  • इसके अलावा नाडी दर 60 से 100 बार प्रति मिनट, रक्तचाप सामान्य होना चाहिए
  • रक्तदाता का हीमोग्लोबिन स्तर 12.5 ग्राम प्रति 100 मिलीलीटर होना चहिए
  • रकतदाता के शरीर का तापमान 37.5 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक नही होना चाहिए अन्यथा वो रक्तदान नही कर सकता ।

तो चलिए हम भी प्रतिज्ञा ले कि हम ही अपनी मर्जी से रक्तदान करेंगे । चाहे रक्त हमारे किसी रिश्तेदार के लिए हो या ना हो ।

Keywords: National Voluntary Blood Donation Day, राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस, 1 अक्टूबर

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